मानव शास्त्र- पूर्ववर्ती तथा समसामयिक :मानव" तथा उनकी पररंपराओं, जीवन पधति, सामाजिक- सांस्कृतिक क्रियाकलापों को समग्रता से अध्ययन करने वाला विषय है. इस विधा में "सूक्ष्मदर्शी "अध्ययन को महत्वपूर्ण माना गया है. इस विषय में प्रत्यक्ष अनुभवों के द्वारा प्राप्त तथ्यों के माध्यम से मानव के जैविक,सामाजिक,सांस्कृतिक संरचनाओं को वैज्ञानिक प्रविधि से समझने में मदत मिलती है.यह ज़रूरी है की इस तरह का अध्ययन तथ्यों के विश्लेषण (किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त ना होकर) की सत्यता पर निर्भर होना चाहिए. यह प्रविधि मानव विज्ञान को मानवतावादी द्रिस्तिकोन प्रदान करता है. इसमे दो संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन इसी को ध्यान में रखकर करते हैं , किसी संस्कृति को छोटा या बड़ा नहीं मानते.
समाज विज्ञानियों में मानव विज्ञानी सामाजिक सांस्कृतिक तथ्यों के संकलन में सबसे कुशल माने जाते है क्योंकि वे अध्ययन किए जाने वेल समुदाय में रहकर, "सहभागी- अवलोकन" के मध्यम से,उनके दिनचर्या में भाग लेते हुए उसका हिस्सा बन जाते हैं, फलतः अध्ययन में गहराई होती है. उनके द्वारा एकत्रित तथ्यों में स्वयं अवलोकित सचाई होती है.मानव विज्ञान की विषय वस्तु का क्षेत्रा बड़ा है अतः मानव जीवन के विभिन्न आयामों के अध्यन हेतु इसे चार मुख्य शाखाओं में बनता गया है- १. शारीरिक मानव विज्ञान २. सांस्कृतिक- सामाजिक मानव विज्ञान ३. पुरातात्विक मानव विज्ञान ४. भाषा विज्ञान.
समाज विज्ञानियों में मानव विज्ञानी सामाजिक सांस्कृतिक तथ्यों के संकलन में सबसे कुशल माने जाते है क्योंकि वे अध्ययन किए जाने वेल समुदाय में रहकर, "सहभागी- अवलोकन" के मध्यम से,उनके दिनचर्या में भाग लेते हुए उसका हिस्सा बन जाते हैं, फलतः अध्ययन में गहराई होती है. उनके द्वारा एकत्रित तथ्यों में स्वयं अवलोकित सचाई होती है.मानव विज्ञान की विषय वस्तु का क्षेत्रा बड़ा है अतः मानव जीवन के विभिन्न आयामों के अध्यन हेतु इसे चार मुख्य शाखाओं में बनता गया है- १. शारीरिक मानव विज्ञान २. सांस्कृतिक- सामाजिक मानव विज्ञान ३. पुरातात्विक मानव विज्ञान ४. भाषा विज्ञान.
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